अद्भुत सिद्धयोग | Siddh Yoga - A Spiritual Revolution

  अद्भुत सिद्धयोग

  • क्या आपने कभी चमत्कार देखा है, देखना चाहते हैं ?
  • क्या आप ध्यान लगाना जानते हैं ? आसान तरीके से ध्यान लगाना सीखना चाहते हैं ?
  • क्या आप सिद्धयोग एवं अध्यात्म विज्ञान जानते हैं ? 
  • क्या आप आत्मीय आनंद चाहते हैं ?


SIDDHA-YOGA MEDITATION सिद्ध - योग ध्यान
सिद्ध-योग  ध्यान 

ह लेख विश्व के सभी धर्म के सभी लोगों के लिए है 

भारतभूमि के देवताओं व ऋषि-मुनियों की हजारों सालों की तपस्या का निचोड़ है यह लेख, जो कि आपको सहज रुप में उपलब्ध हो रहा है। 

हमारा दावा है आपसे, अगर इस लेख को अंत तक शांति से पढ लिया तो आपके जीवन की हर समस्या का समाधान मिल सकता है।

SIDDHA-YOGA MEDITATION ENGLISH USA

योग

म्पूर्ण विश्व में योग (Yoga) का मतलब शारीरिक क्रियाएं / योगासन / व्यायाम / प्राणायाम को माना जा रहा है

भारतीय दर्शन के अनुसार योग का अभिप्राय होता है - आत्मा का परमात्मा से मिलन (Union of the soul with the supreme) योग का शाब्दिक अर्थ भी 'जुड़ना' ही होता है



सिद्धयोग क्या होता है ?

भारतीय दर्शन में आठ योग (अष्टांग योग) - भक्तियोग, कर्मयोग, राजयोग, क्रियायोग, ज्ञानयोग, लययोग, भावयोग व हठयोग तथा आठ साधनाएं - यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान व समाधि बताए गए हैं। 

वर्तमान युग में बौद्धिक प्रयास से इनका पालन करना लगभग असम्भव है, अत: इतने महत्वपूर्ण दर्शन की जानकारी लोगों में नगण्य है

आत्मा का परमात्मा से मिलन एक सिद्ध गुरु (जिसे आध्यात्मिक शक्तियां / सिद्धियां प्राप्त हो) की सहायता से होता है 

सिद्ध गुरु के (i) स्पर्श (कृष्ण-अर्जुन), या (ii) दर्शन, या (iii) शब्द-मंत्र, अथवा (iv) शिष्य द्वारा गुरु का स्मरण व संकल्प मात्र (द्रौणाचार्य-एकलव्य) से शिष्य के शरीर में शक्ति जागृत होती है फलस्वरूप शिष्य के शरीर में विभिन्न क्रियाएं (यौगिक क्रियाएं) होती हैं, ऐसा योग सिद्धयोग / स्वतः योग (Automatic Yoga) कहलाता है

सिद्धयोग से जागृत शक्ति उपर्युक्त सभी अष्टांग योग व साधनाएं स्वत: करवाती है, अतः इस योग को पूर्ण योग अथवा महायोग भी कहते हैं

इस प्रकार सिद्धयोग द्वारा साधक (शिष्य) के शरीर में स्वतः यौगिक क्रियाएं होती हैं, अतः यह योगासन से अलग होता है जहाँ यौगिक क्रियाएं साधक द्वारा प्रयास व अभ्यास करने पर होती है, स्वतः नहीं होती है


अद्भुत सिद्ध-योग ध्यान
अद्भुत सिद्ध-योग ध्यान

सिद्धयोग ही क्यों ?

रोगमुक्ति, समृद्धि एवं आत्मज्ञान का अद्भुत मार्ग है सिद्धयोग

वर्तमान समय में हर कोई तनावग्रस्त है, जिसे कम करने के लिए लोग औषधियों या नशे का सहारा लेते हैं, मगर फिर भी फायदा नहीं होता है 

कुछ लोग योगासन, प्राणायाम, बन्ध, मुद्राएं आदि स्वयं अथवा योगा टीचर की देखरेख में करते हैंमगर समयाभाव से अथवा धन की कमी के कारण लोग नियमित नहीं कर पाते

सिद्धयोग ऐसा मार्ग है जो नि:शुल्क है, आसान है, अत्यधिक प्रभावी है, केवल 15 मिनट सुबह-शाम का समय चाहिए।

शक्तिपात दीक्षा

हिन्दू धर्म में देवियों को देवताओं के बराबर माना गया है लक्ष्मी, पार्वती, सरस्वती, सीता, राधा, गंगा, गीता, गायत्री, दुर्गा, काली आदि कई नामों से जानी जाने वाली देवियों को "शक्ति" कहा गया है 

यही दिव्यशक्ति प्रत्येक मनुष्य के शरीर में रीढ की हड्डी के निचले सिरे - मूलाधार में नागिन की तरह साढे तीन फेरे (कुण्डली) लगाकर सुषुप्त अवस्था में विराजमान होती है, जिसे योगियों ने "कुण्डलिनी" कहा है

किसी मनुष्य (शिष्य) की सोई हुई कुण्डलिनी शक्ति को समर्थ गुरु द्वारा स्पर्श, दर्शन, मंत्र आदि से जागृत करने को "शक्तिपात दीक्षा" कहा जाता है 

यह शक्ति जागृत होकर ऊपर की तरफ (उर्ध्वगमन) बढती है, ततस्वरूप शरीर में यौगिक क्रियाएं स्वतः ही होती है

इस प्रकार जगत जननी दिव्यशक्ति के जागरण से मानव जीवन की ऐसी कौनसी समस्या है जो हल नहीं की जा सकती? 
  • यह ज्ञान की असीम पराकाष्ठा है 
  • मनुष्य पूर्णता (आत्म ज्ञान) को प्राप्त करता है 
  • तमाम परेशानियों व बीमारियों को दूर कर पाता है, तथा,
  • समृद्धि को प्राप्त करता है


सिद्धयोग - ध्यान. SIDDHA YOGA - MEDITATION
सिद्धयोग ध्यान - ध्यान मग्न साधक 

सिद्ध गुरु / समर्थ गुरु / आध्यात्मिक गुरु / सद्-गुरु

संसार में एक वस्तु का दूसरी वस्तु में रूपांतरण, परिवर्तन या बदलाव किसी अन्य वस्तु की सहायता से ही होता है, जैसे लोहे को आकार देने के लिए घण या हथौड़े की जरूरत होती है

हम सभी जानते हैं कि मनुष्य ईश्वर का स्वरूप है तथा ईश्वर मनुष्य के भीतर ही होता है जिसे परमात्मा कहा गया है 

आत्मा का परमात्मा से मिलन के लिए एक आत्मा को दूसरी आत्मा से प्रेरणा या शक्ति लेनी पड़ती है 

शक्ति प्रदान करने वाली इस आत्मा को गुरु या आचार्य जबकि शक्ति लेने वाली आत्मा को शिष्य या चेला कहा गया है

गुरु (गु - अज्ञान, रु - नाशक) का पद गोविन्द से बड़ा माना गया है क्योंकि गुरु में गोविन्द से मिलाने की शक्ति होती है 

एक सद्-गुरु या सिद्धगुरु या समर्थ गुरु या यथार्थ गुरु में अपनी शक्ति को शिष्य में संप्रेषित करने क्षमता होनी चाहिये एवं शिष्य में वह शक्ति ग्रहण करने की क्षमता होनी चाहिए - यथार्थ शिष्य

ऐसे ही समर्थ गुरु हुएं हैं - ब्रह्मलीन श्री राम लाल जी सियाग जो सिद्धयोग नामक आराधना की सात्विक क्रांति के मार्ग से विश्व भर के लाखों साधकों के जीवन को चेतन कर चुके हैं एवं आगे भी यह कार्य अनवरत जारी रहेगा


गुरुदेव रामलाल जी सियाग GURU SIYAG
सद्-गुरु श्री रामलाल जी सियाग

समर्थ गुरुदेव सियाग प्रदत्त शक्तिपात दीक्षा एवं सिद्धयोग

गुरुदेव सियाग शक्तिपात दीक्षा हेतु एक संजीवनी मंत्र देते हैं जिसके सघन जप व नियमित ध्यान से शिष्य के शरीर में सुप्त कुण्डलिनी शक्ति जागृत हो जाती है

गुरुदेव प्रदत्त सिद्धयोग की यह विधि नि:शुल्क, आडम्बर व कर्मकाण्ड रहित, हर देश-जाति-धर्म के अमीर-गरीब, साधु-गृहस्थ, बीमार-स्वस्थ, स्त्री-पुरुष, बच्चे, युवा, वृद्ध सभी के लिए सम्पूर्ण रोगमुक्ति, नशों से छुटकारा, भौतिक समृद्धि व आत्मज्ञान प्राप्ति का प्रभावी, आसान व सहज तरीका है

इस आराधना का सबसे अद्भुत पहलू यह है कि ध्यान करते वक्त साधक के शरीर में अलग - अलग यौगिक क्रियाएं, आसन, बंध, मुद्राएं व प्राणायाम आदि बिना प्रयास किए अपने आप होने लगते हैं जो कि कुण्डलिनी शक्ति के जागृत होकर ऊपर की ओर बढने के कारण होते हैं

इस सिद्धयोग में हर साधक को अलग-अलग क्रियाएं होती है ध्यान में कई साधकों को दिव्य प्रकाश दिखना, सुगंध महसूस होना, भूत-भविष्य की घटना दिखना जैसी कई अनुभूति होती है 

कतिपय साधकों को तो अति दुर्लभ मुद्रा - खेचरी मुद्रा भी स्वतः लग जाती है, इसमें साधक की जीभ मुँह के अन्दर की तरफ मुड़कर ऊपर तालू में धंस जाती है तथा तालू से एक विशेष रस टपकता है जो कि साधक की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने वाला होता है, योगियों ने इस रस को 'अमृत' कहा है

स्वतः यौगिक क्रियाएं होने से साधक को एक अनोखे आनंद की अनुभूति होती है जिसे ईश्वर के नाम का नशा कहते है इस आनंद के कारण साधक का चिड़चिड़पन, गुस्सा, चिन्ता-फिक्र आदि दूर हो जाते हैं एक सकारात्मक परिवर्तन आता है, बुरी आदतें व नशा स्वतः छूट जाते हैं युवा वर्ग में स्मरण शक्ति, ग्रहण शक्ति व सहनशीलता बढ जाती है, शरीर तंदुरुस्त व मन एकाग्र हो जाता है

कुण्डलिनी जागरण से साधक को किसी भी तरह की हानि नहीं होती है

जागृत कुण्डलिनी शक्ति का मूल उद्देश्य साधक को आत्मज्ञान (मुक्ति) दिलवाना होता है, जिसके लिए  पहले  साधक को  त्रिविध तापों / रोगों  (आदि भौतिक- फिजिकल, आदि दैहिक- मेंटल, आदि दैविक- स्पिरिचुअल) से मुक्ति दिलवाती है। इस प्रकार साधक के जीवन में सम्पूर्ण परिवर्तन लाकर सात्विक मार्ग पर आत्मज्ञान प्राप्त करवाती है

प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती

पने अब तक जो भी पढा है क्या विश्वास हो रहा है कि ऐसा भी वर्तमान वैज्ञानिक युग में हो सकता है,  कई अन्य लोगों की तरह हमने भी जब यह शुरू में सुना था तब डॉक्टर होने की वजह से विश्वास नहीं किया, मगर चूंकि जिज्ञासा शांत करनी थी तो गुरुदेव से मंत्र लेकर ध्यान लगाया  और...... जीवन मे पहली बार चमत्कार देखा, फिर पता लगा कि यह पूर्णतया वैज्ञानिक है एवं इसे अध्यात्म विज्ञान (Spiritual science ) कहा जाता है, यह सम्पूर्ण विश्व को भारतीय दर्शन की अद्भुत देन है जो मानव की हर समस्या को हल करते हुए उसका कल्याण कर सकती है

आपको भी स्वयं यह चमत्कार महसूस करना है तो अगला लेख अवश्य पढें, चमत्कारी संजीवनी मंत्र जानें एवं बताई गई विधि से ध्यान करें, तत्पश्चात अपने अनुभव हमसे साझा करें कृपया यह लिंक खोलें व अगला लेख पढें

SIDDHA-YOGA MEDITATION PROCEDURE

हमसे सम्पर्क करने के लिए यहाँ क्लिक करें

 🙏 जय गुरुदेव 🙏
****************************

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ