आरोग्य एवं आयुर्वेद
Wellness with Ayurveda
"आरोग्य एवं आयुर्वेद" लेख श्रृंखला पर आपका हार्दिक स्वागत है।
इस प्रथम लेख में आपके लिए प्रस्तुत है :-
- आयुर्वेद क्या है?
- आयुर्वेद का उद्देश्य
- आरोग्य किसे कहते हैं?
- आयुर्वेद ही क्यों ? Benefits of Ayurveda
- आयुर्वेद - वर्तमान परिदृश्य एवं भविष्य
- आयुष (AYUSH) क्या है ?
- आयुर्वेद एवं भ्रांतियाँ
- आयुर्वेद के अनुसार स्वस्थ कैसे रहें?
- स्वस्थ रहने हेतु WELLAYU के 4 TIPS
- आपके लिए क्या विशेष है यहाँ ?
आयुर्वेद
आयुर्वेद अर्थात् आयु: + वेद, ऐसा ग्रंथ जो आयु या जीवन का ज्ञान / जीवन का विज्ञान प्रदान करता हो।
इस ज्ञान के प्रयोग से की जाने वाली चिकित्सा को आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति (Ayurvedic Medicine) कहते हैं जो कि 5000 वर्ष से भी अधिक पुरानी है एवं इसका जन्मदाता भारत है।
Ayurveda is not a miracle, it is a science - Dr. David Frawley
Wellness with Ayurveda में आप पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धति और आधुनिक स्वास्थ्य सेवा के एकीकरण पर जानकारी प्राप्त करेंगें।
आयुर्वेद इस विश्वास पर आधारित है कि अच्छा स्वास्थ्य एवं तंदुरुस्ती हमारे मन, शरीर और आत्मा के बीच एक नाजुक संतुलन पर निर्भर करते हैं।
आयुर्वेद स्वस्थ जीवन शैली (Ayurvedic Lifestyle) के महत्व पर जोर देता है। आयुर्वेद मानता है कि हमारी दैनिक आदतों और दिनचर्या का हमारे सम्पूर्ण स्वास्थ्य एवं वैलनेस पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
इसलिए, यह स्वस्थ आहार (Ayurvedic Diet), नियमित व्यायाम, योग एवं ध्यान के महत्व पर जोर देता है।
आयुर्वेद मानता है कि प्रत्येक व्यक्ति अद्वितीय है और उनकी स्वास्थ्य संबंधी ज़रूरतें अलग-अलग हो सकती हैं। इसलिए, यह व्यक्ति की विशिष्ट आवश्यकताओं और चिकित्सा इतिहास के अनुरूप ही उपचार पर जोर देता है।
इसी व्यक्तिगत दृष्टिकोण के कारण ही आयुर्वेद हाल के वर्षों में लोकप्रियता प्राप्त कर रहा है, क्योंकि अधिकतर लोग अंग्रेजी दवाओं के विकल्पों की तलाश में हैं जो केवल लक्षणों का इलाज करने के बजाय पूरे शरीर को सही करे।
आयुर्वेद रोगों प्राकृतिक उपचार के लिए विभिन्न विकल्प प्रदान करता है। उदाहरण के लिए, हर्बल दवाओं का उपयोग - आयुर्वेद में श्वसन संबंधी विकार, त्वचा रोग और पाचन समस्याओं सहित कई तरह की स्थितियों का इलाज किया जाता है।
आयुर्वेदिक हर्बल दवाएं प्राकृतिक अवयवों से बनाई जाती हैं तथा इन्हें सुरक्षित और प्रभावी माना जाता है।
पंचकर्म (Panchakarma) पांच चरणों वाली शुद्धिकरण प्रक्रिया है जो आयुर्वेद का एक महत्वपूर्ण अंग है। इसका उद्देश्य शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना और त्रिदोषों (शरीर के कामकाज को नियंत्रित करने वाली तीन मूलभूत ऊर्जाएं) के संतुलन को बहाल करना है।
पंचकर्म चिकित्सा का उपयोग श्वसन विकार, त्वचा रोग और पाचन संबंधी समस्याओं के इलाज के लिए किया जा सकता है।
योग और ध्यान भी आयुर्वेद के अभिन्न अंग हैं। योग व्यायाम का एक रूप है जो लचीलेपन, शक्ति और संतुलन में सुधार करने में मदद करता है, और विश्राम (Relaxation) और तनाव से राहत को भी बढ़ावा देता है।
दूसरी ओर, ध्यान एक अभ्यास है जो मन को शांत करने और समग्र कल्याण (Overall Well-being) में सुधार करने में मदद करता है।
साथ ही, योग और ध्यान का उपयोग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए किया जा सकता है, और बीमारी को रोकने तथा उसका इलाज करने के लिए भी किया जा सकता है।
आयुर्वेद का उद्देश्य
आयुर्वेद एक संपूर्ण जीवन विज्ञान है, इसका मुख्य उद्देश्य है प्राणियों की आयु बढाना, और यह कार्य निम्न प्रकार से हो सकता है -
- स्वस्थ व्यक्ति का संतुलित व संयमित जीवन शैली जैसे सुर्य नमस्कार, योग, प्राणायाम, ध्यान, व्यायाम व अन्य आयुर्वेदिक नियम अपनाकर आजीवन स्वस्थ बने रहना।
- आयुर्वेदिक औषधियों के प्रयोग से रोगों को जड़ से समाप्त करना।
अर्थात, आयुर्वेद का उद्देश्य / लक्ष्य हर्बल दवाओं, मालिश (Ayurvedic Massage) और योग जैसे प्राकृतिक उपचारों (natural remedies) के उपयोग के माध्यम से वांछित स्वास्थ्य को बढ़ावा देना, बीमारी को रोकना और इलाज (Ayurvedic Treatment) करना है।
आरोग्य (Wellness)
आयुर्वेद के अनुसार -
- शरीर पाँच तत्वों से मिलकर बना है - पृथ्वी, अग्नि, जल, वायु व आकाश ; तथा
- शरीर में तीन दोष - वात, पित्त व कफ (Ayurvedic Body Types) एक निश्चित अनुपात में होते हैं, इन्हे त्रिदोष कहा जाता है।
जब शरीर में पाँचों तत्व एवं तीनों दोष उचित मात्रा में या संतुलित अवस्था में होते हैं उस स्थिति को आरोग्य (wellness) या स्वास्थ्य या सेहत कहते हैं।
तथा
इनके असंतुलन या विषमता को रोग (Illness) या विकार कहते हैं।
अर्थात् शरीर व मन के प्राकृतिक या स्वाभाविक रूप में विकृति (Deviation) को रोग कहते हैं एवं संतुलन को आरोग्य कहते हैं।
आयुर्वेद ही क्यों?
Ayurveda is the science of the future - Dalai Lama
कुछ वर्षों पूर्व आयुर्वेद को केवल प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति माना जाता था परन्तु इसके आश्चर्यजनक फायदों को देखते हुए वर्तमान में संपूर्ण विश्व इसे अपना चुका है।
आयुर्वेद दुनिया की सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धतियों में से एक है। प्राचीन काल में आयुर्वेदिक चिकित्सा ही एकमात्र सर्वमान्य चिकित्सा पद्धति थी।
उपचार की इस पारंपरिक भारतीय प्रणाली (Ayurvedic Remedies) का उपयोग सदियों से विभिन्न प्रकार की बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता रहा है, एवं आज भी व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
19 वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में पश्चिमी देशों में मानव निर्मित रसायनों से चिकित्सा कार्य शुरू हुआ जिसे अब एलोपैथी या विरोध विज्ञान कहा जाता है।
प्रमुखत: एंटीबायोटिक्स की खोज ने इस चिकित्सा पद्धति के क्षेत्र में क्रान्ति ला दी थी क्योंकि उस वक्त कई महामारियाँ ऐसी थी जिनसे गाँव के गाँव खाली हो जाते थे, और इन दवाओं ने उन पर नियंत्रण किया।
तत्पश्चात् इस क्षेत्र में बहुत तेजी से शोध कार्य हुए एवं पूरे विश्व की मुख्य चिकित्सा पद्धति बन गई तथा इसे आधुनिक चिकित्सा पद्धति के नाम से भी जाना जाता है।
अभी भी चिकित्सा के क्षेत्र में एलोपैथी का बहुत अधिक महत्व है, परन्तु इसमें भी कई ऐसी खामियाँ हैं जिनकी वजह से यह संपूर्ण चिकित्सा पद्धति नहीं बन पाई।
लेकिन इन खामियोँ का तोड़ आयुर्वेद में है अत: पिछले कुछ वर्षों से पूरे विश्व में आयुर्वेद पर शोध कार्य हो रहे हैं एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा अन्य सरकारें इसे बढावा दे रही है।
निम्न कारणों से आयुर्वेद तुलनात्मक रूप में एलोपैथी से बेहतर है :-
एलोपैथी द्वारा रोगी का उपचार तो किया जा सकता है परन्तु निरोगी को आजीवन निरोगी रखने की क्षमता केवल आयुर्वेद में है।
एलोपैथिक दवाओं के अत्यधिक दुष्प्रभाव (साईड इफेक्ट) होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि एलोपैथिक या अंग्रेज़ी दवा से वो रोग तो ठीक हो सकता है जिसके लिए दी जाती है परन्तु एकाधिक नये रोग उत्पन्न हो जाते हैं, जबकि आयुर्वेद के उपयोग से लक्षित रोग तो ठीक होता ही है साथ में कुछ अन्य विकार भी बोनस के रूप में ठीक हो सकते हैं।
एलोपैथिक दवाईयां अत्यधिक प्रयोग से धीरे धीरे निष्प्रभावी होती जा रही हैं जिसे प्रतिरोधकता (Drug resistance) कहते हैं। वैज्ञानिकों के लिए यह बहुत बड़ी चिन्ता का विषय है क्योंकि आने वाले कुछ वर्षों में एलोपैथिक दवाएं मुख्यत: एंटीबायोटिक्स बेअसर हो जाएगी। इसका एकमात्र जवाब आयुर्वेद है जहाँ कोई प्रतिरोधकता उत्पन्न ही नहीं होती है।
बहुत सी बीमारियों, मुख्यत: असाध्य रोग या दीर्घ अवधि की (Chronic disease), का एलोपैथिक दवाओं से समूल उपचार नहीं होता है, केवल लक्षणों का कुछ हद तक नियंत्रण हो पाता है, तथा जीवन पर्यंत इन दवाओं का प्रयोग करना पड़ सकता है एवं इनके दुष्प्रभावों को झेलना पड़ सकता है। जैसे मधुमेह, हृदय-रोग एवं रक्त चाप, थाइराइड, गठिया, एलर्जी-अस्थमा, कैन्सर आदि।
आयुर्वेद द्वारा इन असाध्य रोगों को जड़ से खत्म किया जा सकता है, एक निश्चित अवधि के लिए पूर्ण आरोग्य प्राप्त होने तक ही औषधियों (Ayurvedic Herbs) का प्रयोग करना होता है, आजीवन नहीं। अत: उपचार अपेक्षाकृत सस्ता, सुरक्षित व प्रभावी होता है।
इन सभी कारणों से वर्तमान एवं भविष्य में आयुर्वेद बेहद आवश्यक है।
आयुर्वेद के लाभ Benefits of Ayurveda
स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद एक समग्र दृष्टिकोण है जो आहार (Ayurvedic Diet), जीवन शैली (Ayurvedic Lifestyle) एवं आयुर्वेदिक / हर्बल उपचार (Ayurvedic Practices) के माध्यम से रोग की रोकथाम व उपचार पर केंद्रित है। यहाँ आयुर्वेद के कुछ लाभ दिए गए हैं:
1. बेहतर पाचन
आयुर्वेद पाचन तंत्र को संतुलित करके पाचन क्रिया में सुधार करता है। इसके अनुसार फलों और सब्जियों जैसे प्राकृतिक अवयवों से भरपूर आहार (Ayurvedic Diet) पाचन में सुधार करने और अपच के लक्षणों (जैसे पेट में गैस व कब्ज) को कम करने में मदद कर सकता है।
2. मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली
आयुर्वेद का मानना है कि पूर्ण स्वास्थ्य के लिए एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) आवश्यक है। हल्दी, अदरक, जीरा जैसी जड़ी-बूटियों और मसालों का सेवन प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने और बीमारियों से लड़ने में मदद कर सकता है।
3. तनाव के स्तर में कमी
आयुर्वेद के अनुसार माइंडफुलनेस तकनीक (जैसे योग एवं ध्यान), तनाव के स्तर को कम करने तथा मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद कर सकते हैं। तनाव को कम करने व बेहतर नींद के लिए अश्वगंधा का उपयोग भी किया जा सकता है।
4. बेहतर त्वचा स्वास्थ्य
एलोवेरा, नीम और हल्दी जैसे प्राकृतिक अवयवों का उपयोग करके त्वचा के स्वास्थ्य में सुधार किया जा सकता है। ये औषधियां (Ayurvedic Supplements) मुंहासों को कम करने, त्वचा की टोन में सुधार करने और उम्र बढ़ने के संकेतों (Aging) को कम करने में मदद कर सकती हैं।
5. विषहरण Detoxification
आयुर्वेद के अनुसार नियमित विषहरण (Ayurvedic Detox) से विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकाल कर पूर्ण स्वास्थ्य प्राप्त किया जा सकता है। कुछ प्राकृतिक विषहरण विधियां हैं - खूब पानी पीना तथा विषहरण जड़ी-बूटियों (जैसे धनिया और जीरा) का सेवन करना।
जैसा कि आप देख सकते हैं, आयुर्वेद के कई लाभ हैं जो आपके पूर्ण स्वास्थ्य और तंदुरूस्ती को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। यदि आप स्वास्थ्य और कल्याण / तंदुरूस्ती के लिए समग्र दृष्टिकोण की तलाश कर रहे हैं, तो आयुर्वेद आपके लिए सही हो सकता है।
आयुर्वेद - वर्तमान परिदृश्य एवं भविष्य
जैसा कि हम सभी जानते है कि आयुर्वेद का जनक भारत है परन्तु विडम्बना है कि उपयोग एवं वितरण के क्षेत्र में विश्व के अन्य देश भारत से काफ़ी आगे है।
आयुर्वेदिक उत्पादों का अमेरिका दुनियां का 41% एवं यूरोपीय देश 20% उपयोग करते हैं।
इसी तरह उत्पादन एवं वितरण के मामले में विश्व में 13% के साथ चीन सबसे आगे है जबकि भारत विश्व का केवल 2.5% वितरण करता है।
भारत की डिजिटल लाइब्रेरी में लगभग 43000 आयुर्वेदिक फार्मूले है जिनमें से सिर्फ 1500 फार्मूले ही दवाओं के रूप में बाजार में हैं। अन्य देश भारत से सस्ते फार्मूले खरीदते है एवं अपना पेटेंट करवा लेते है । पेटेंट के मामले में भी चीन भारत से काफ़ी आगे है।
लेकिन ये सुखद है कि पिछले कुछ दशकों से भारतीयों में आयुर्वेद के प्रति रूझान लगातार बढ़ रहा है तथा भारत सरकार भी आयुर्वेद के विकास के लिए सराहनीय कार्य कर रही है।
आयुर्वेद के विकास व शोध कार्यों को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने आयुष मंत्रालय की स्थापना कर रखी है।
वर्ष 2016 में WHO ने भारत सरकार के साथ आयुर्वेदिक उत्पादों की खरीद के लिए एक करार या संधि पर हस्ताक्षर किए थे।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ICMR ने एमबीबीएस के पाठ्यक्रम में आयुर्वेद को शामिल करने की घोषणा की है क्योंकि WHO का मानना है कि एलोपैथी के सहारे सभी रोगों की रोकथाम व समग्र ईलाज संभव नहीं है।
चीन में यह फार्मूला (Herbal + Allopathy) पहले से ही सफलता पूर्वक चल रहा है।
आयुर्वेद हाल के वर्षों में जबरदस्त लोकप्रियता प्राप्त कर रहा है। शोध के अनुसार, 2018 में वैश्विक आयुर्वेदिक दवा बाजार का मूल्य 8.6 बिलियन डॉलर था और 2024 तक 15.6 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है, जो 2019 से 2024 तक 9.2% की सीएजीआर से बढ़ रहा है।
इस वृद्धि से प्राकृतिक उत्पादों के प्रति लोगों की बढ़ती रूचि को समझा जा सकता है।
भारत में, आयुर्वेदिक बाजार 2022 तक 22% की वृद्धि दर के साथ $10 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है।
इसके अतिरिक्त, आयुर्वेद क्लीनिकों की संख्या बढ़ रही है, और अनुमान है कि भारत में 2020 में 100 मिलियन से अधिक लोगों ने आयुर्वेदिक उपचार प्राप्त किया होगा।
संयुक्त राज्य अमेरिका में भी आयुर्वेद के उपयोग में वृद्धि देखी गयी है, 2020 में 6 मिलियन से अधिक लोगों ने इसका उपयोग किया है। यह 2025 तक दोगुना होने का अनुमान है। इस वृद्धि का मुख्य कारण प्राकृतिक उपचार में बढ़ती रुचि और प्रभावशीलता के बढ़ते प्रमाण हैं।
कुल मिलाकर, आयुर्वेद का बाजार बढ़ रहा है और आने वाले वर्षों में इसके बढ़ने की उम्मीद है। जैसे-जैसे अधिक लोग प्राकृतिक उपचार और वैकल्पिक उपचारों की ओर मुड़ेंगे, आयुर्वेद का उपयोग बढ़ने की संभावना है।
आयुष का शाब्दिक अर्थ है जीवन, आयुष विज्ञान को आयुर्वेद का पर्याय भी कहा जाता है।
भारत सरकार द्वारा मार्च 1995 में ISM&H - Indian System of Medicine and Homeopathy विभाग की स्थापना की गई।
नवंबर 2003 में इसको आयुष विभाग नाम दिया गया जो कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता था।
इस विभाग में निम्न पांच चिकित्सा पद्धतियों को शामिल किया गया
- A - Ayurvedic,
- Y - Yoga and Naturopathy,
- U - Unani,
- S - Sidha,
- H - Homeopathy.
दिनांक 09 नवंबर 2014 को एक अलग मंत्रालय - आयुष मंत्रालय की स्थापना की गई जिसके अंतर्गत इसके घटक विभागों से संबंधित शोध कार्यों व विकास के लिए कई विभाग, शाखाएं, संस्थाएं आदि की स्थापना की गई।
आयुष मंत्रालय के अधीन क्वालिटी काउंसिल ऑफ़ इंडिया द्वारा देश में निर्मित आयुष उत्पादों को गुणवत्ता के आधार पर दो तरह के मानक या मार्का दिए जाते हैं -
- भारतीय स्टैंडर्ड के उत्पादों को आयुष स्टैंडर्ड मार्का, तथा
- अंतर्राष्ट्रीय स्टैंडर्ड के उत्पादों को आयुष प्रीमियम मार्का।
वर्तमान में यह प्रक्रिया स्वैच्छिक है परन्तु आगामी वर्षों में इसे प्रत्येक आयुष निर्माता कंपनी के लिए अनिवार्य कर दिया जाएगा।
वर्तमान में केवल 7 निर्माता कंपनियों के 316 उत्पादों को आयुष स्टैंडर्ड या प्रीमियम मार्का प्रदान किए गऐ है।
Policy initiatives - National Health Mission and National Health Policy 2017. - Ayush Premium Mark. - International Yoga Day.
7.9 lakh Ayush Practitioners - Ayurveda (55.4%), Homeopathy (36.8%), Unani (6.4%), Sidha (1.1%), Naturopathy (0.3%).
Medical value travel - E-medical visa facilities extended to 156 countries.
Centers at defense cantonments and hospitals - 37 cantonments hospitals, 12 Military hospitals.
AYUSH summits - Global AYUSH summit 2022 - Gujrat, National Arogya Event 2022 - Ujjain.
The global herbal medicinal market is expected to reach $426.43 Billions by 2028.
आयुर्वेद व भ्रांतिया (Myths about Ayurveda)
1. अक्सर ये सुनने में आता है कि आयुर्वेदिक उपचार का फायदा लम्बे समय बाद मिलता है, जबकि यह पूर्णतः सत्य नहीं है।
आयुर्वेदिक औषधियों का असर कितने समय में आएगा व उपचार कितना लंबा चलेगा यह मुख्यत: इस बात पर निर्भर करता है कि रोग कितना पुराना है, जैसे जुकाम, खाँसी या बुखार जो कि एक दो दिन पहले के है तो तुरंत ठीक होंगे, यहां तक कि एलोपैथी से ज्यादा जल्दी असर आता है; अगर महिने भर से खाँसी है तो कुछ दिन लग सकते हैं, साल भर पुरानी है तो महिना लग सकता है।
ऐसे ही असाध्य रोगों में जहाँ एलोपैथी में सालों लगने पर भी परिणाम नहीं मिलता है वहीँ आयुर्वेद से कुछ महिनों में ही उपचार हो जाता है।
रोग की अवधि के अलावा रोग की प्रवृति, रोगी की उम्र, अवस्था, मौसम व स्थान आदि कई कारक परिणाम की तीव्रता के लिए उत्तरदायी होते हैं।
2. कुछ लोगों को आयुर्वेदिक उत्पाद महंगे लगते हैं लेकिन गहराई से तुलना की जाऐ तो बहुत सस्ते होते हैं।
जैसे बुखार का एलोपैथी में कम से कम 200 रू बिना उपचार नहीं होता, वहीँ आयुर्वेद में 50 - 100 रू में हो जाता है। असाध्य रोगों में एलोपैथी से जहाँ लाखों लग जाते हैं वहीं आयुर्वेद में कुछ हजार ही खर्च होते हैं।
3. कुछ लोगों के अनुसार आयुर्वेदिक उत्पादों को उपयोग में लेना आसान नहीं होता।
जैसे पीसना, कूटना, काढा, अर्क आदि बनाना तथा अरूचिकर स्वाद, खुराक की अधिक मात्रा आदि कई कारणों से इनके सेवन में निरंतरता नहीं रह पाती।
हालांकि यह आंशिक रूप से सही भी है मगर आधुनिक युग में नवीनतम तकनीक के प्रयोग से यह समस्या अब बीते दिनों की बात हो गई है।
अब कैप्सूल, टैबलेट व आसानी से सेवन योग्य तरल, पाउडर व अन्य रूपों में ये उत्पाद उपलब्ध हो जाते हैं।
4. पहले कुछ लोग आयुर्वेद को अनपढ़ व पिछड़े लोगों की पद्धति मानते थे।
परन्तु अब तो अति विकसित देशों को भी इसकी महत्ता समझ में आ गई है तथा धीरे धीरे अमीर लोगों के लिये स्टेटस सिंबल होती जा रही है।
चीन, अमेरिका, इंग्लैंड सहित अन्य पश्चिमी देशों में आयुर्वेद का प्रचलन तेजी से बढ़ा है।
Ayurveda is not a medical system, it is a way of life - Deepak Chopra
आयुर्वेद के अनुसार स्वस्थ कैसे रहें?
जैसा कि हमने पहले बताया, आयुर्वेद केवल बीमार व्यक्ति को स्वस्थ करने में ही योगदान नहीं देता बल्कि स्वस्थ व्यक्ति को बीमार होने से बचाता भी है।
बीमार व्यक्ति किसी अनुभवी वैद्य या चिकित्सक की सलाह से आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों एवं औषधियों के सेवन से अपना स्वास्थ्य प्राप्त करे।
आधुनिक विज्ञान की डायग्नोस्टिक तकनीकों की मदद से आयुर्वेद अब और ज्यादा सशक्त हो गया है, अब सटीक निदान होने के साथ-साथ बीमारी का पूर्वानुमान (early diagnosis) करना भी आसान हो गया है जिससे कि समय रहते उसका नियंत्रण किया जा सकता है।
आयुर्वेद के अनुसार स्वस्थ जीवन जीने के उपाय हैं - दिनचर्या, ऋतुचर्या एवं सद्वृत।
स्वास्थ्य-सरंक्षण हेतु दिनचर्या क्या हो?
- सूर्योदय से पहले ब्रह्म-मुहूर्त में उठना।
- उषःपान करना - ताम्रपात्र में रखा स्वच्छ जल पीना।
- मल-मुत्रोत्सर्जन करना।
- धावन कार्य - दान्तुन (मंजन), मुख-जीभ साफ़ करना, एवं शीतल जल से आँखें धोना।
- गरम पानी या औषधीय क्वाथ से गरारे (Gargle) करना।
- नस्य - नाक में तिल, सरसों के तैल या गोघृत की दो-दो बूंद डालना ताकि सिर, बाल व नाक के रोगों से बचाव हो।
- अभ्यंग - सिर, कान व पैरों की तैल से मालिश करना।
- व्यायाम, योगासन एवं ध्यान करना।
- क्षौर कर्म - आवश्यकतानुसार दाढ़ी, सिर के बाल व नाख़ून काटना।
- उद्वर्तन (उबटन) - स्नान से पूर्व बेसन, तैल एवं हल्दी का पानी के साथ लेप (पेस्ट) बना कर शरीर पर मलना।
- स्नान- व्यायाम के आधे से एक घंटे बाद शीतल, गुनगुने अथवा सुखोष्ण जल से स्नान करना।
- आहार - अपनी प्रकृति (वात, पित्त, कफ), उम्र व ऋतू के अनुसार नियत समय पर नियत मात्रा अनुसार छः रसों (षडरस - मधुर, अम्ल, लवण, कटु, तिक्त, कषाय) से युक्त आहार (संतुलित भोजन) का सेवन करना।
- जीविकोपार्जन - जीविका चलाने के लिए शासन से अनुमत एवं सज्जन लोगों से अनुमोदित व्यवसाय, कृषि या सेवा आदि कार्य करना।
- नींद - रात्रि में 7-8 घंटे शयन करना।
ऋतुचर्या
ऋतू-विशेष के अनुसार दिनचर्या एवं आहार-विहार करना आयुर्वेद में ऋतुचर्या कहा गया है।
सद्वृत
व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक सदाचरण एवं राष्ट्रीय सौहार्द बनाये रखना सद्वृत कहलाता है।
स्वस्थ रहने हेतु WELLAYU के 4 TIPS
अगर उपरोक्त दिनचर्या के पालन में कोई समस्या हो रही हो तो निम्न 4 टिप्स पर विशेष ध्यान देकर आप स्वस्थ रह सकते हैं -
- सुबह-शाम खाली पेट 15-15 मिनट नियमित रूप से सिद्ध-योग ध्यान / मैडिटेशन करना।
- आयुर्वेदिक सप्लीमेंट का नियमित सेवन करना ताकि शरीर के लिए आवश्यक तत्वों की पूर्ति होती रहे।
- नियमित अन्तराल पर आवश्यकता व उम्र के अनुसार लैब टेस्ट (शीघ्र निदान हेतु) करवाना।
- आवश्यकता होने पर चिकित्सक की सलाह लेकर औषधि, आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों या अन्य तरीकों से सम्भावित रोग का समय रहते नियंत्रण करना।
आपके लिए क्या विशेष है यहाँ ?
आज की इस भागम-भाग वाली मोबाइल युग की जीवन शैली में आदमी के पास इतना वक्त नही होता है कि वह योग, आसन, व्यायाम आदि के लिये कुछ घंटे निकाल सके, अत: स्वस्थ बने रहना उसके लिए किसी चुनौती से कम नही है।
संसार में 60 फीसदी लोग स्वस्थ है, 30 फीसदी अस्वस्थ व 10 फीसदी गंभीर रोगों से ग्रसित है।
अगर आपको स्वतः होने वाले सिद्ध-योग ध्यान एवं कुछ ऐसे आयुर्वेदिक उत्पादों की जानकारी उपलब्ध करवा दी जाएं जिनसे एक स्वस्थ व्यक्ति अपनी व्यस्ततम जीवन शैली में खुद को सुरक्षित रूप से स्वस्थ रख सके, तो क्या आप जानना चाहेंगे ?
अगर हाँ तो हमें नियमित रूप से पढते रहिए, कमेंट्स कीजिए, अधिक जानकारी के लिये ई-मेल या व्हाट्स एप कीजिए।
गंभीर रोगों से ग्रसित रोगी भी यहाँ दी गई जानकारी से फायदा ले सकते हैं, मगर उन्हें सलाह दी जाती है कि वे अपने विशेषज्ञ चिकित्सक अथवा वैद्य से मार्गदर्शन अवश्य लें।
कृपया ध्यान दें, हम एलोपैथी चिकित्सा की कोई बुराई नहीं कर रहे हैं, यह पद्धति वर्तमान समय में बहुत आवश्यक है, लेकिन जहाँ इससे उपचार में सफलता दर कम हो या धीरे हो वहां इसके साथ आयुर्वेद को मिलाकर उपचार करने पर जानकारी दे रहे हैं तथा आयुर्वेद के उपयोग से रोगों के बचाव करने की जानकारी पर जोर दे रहे हैं।
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निष्कर्ष Conclusion
आयुर्वेद चिकित्सा की एक प्राचीन प्रणाली है जो स्वास्थ्य एवं सेहत हेतु एक सम्पूर्ण दृष्टिकोण प्रदान करती है।
यह एक स्वस्थ जीवन शैली, व्यक्तिगत उपचार योजनाओं और हर्बल दवाओं, मालिश और योग जैसे प्राकृतिक उपचारों के महत्व पर जोर देता है।
जैसे-जैसे अधिक से अधिक लोग चिकित्सा के वैकल्पिक रूपों की तलाश कर रहे हैं जो पूरे व्यक्ति पर ध्यान केंद्रित करते हैं, आयुर्वेद तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।
यदि आप अपने स्वास्थ्य के लिए एक प्राकृतिक और समग्र दृष्टिकोण की तलाश कर रहे हैं, तो आयुर्वेद आपके लिए सही विकल्प हो सकता है।
6 टिप्पणियाँ
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जवाब देंहटाएंआयुर्वेद ही असली चिकित्सा पधति है
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