4 तरीके डायबिटीज को हराने के (4 Ways To Beat Diabetes)

4 तरीके डायबिटीज को हराने के 

(4 Ways To Beat Diabetes)


डायबिटीज का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है, सुश्रुत के समय से इसका उल्लेख मिलता है पिछले कुछ दशकों से इसके प्रकोप में निरन्तर वृद्धि होती जा रही है

क्या डायबिटीज को हराया नहीं जा सकता है ?
बिल्कुल हराया जा सकता है 

यह लेख उन सभी के लिए लाभप्रद है जो डायबिटीज से पीड़ित हैं या जिनको भविष्य में होने की आशंका है या जो  जीवन में इसका सामना कभी नहीं करना चाहते

अगर पूर्ण विश्वास, दृढ़ संकल्प व सकारात्मक सोच से डायबिटीज को हराने का मानस बना लिया जाए तो यह शत प्रतिशत संभव है 

जो इससे पीड़ित हैं वो एक बात पर ध्यान दें कि यह हमारी मर्ज़ी से नहीं हुई है लेकिन हमारी मर्ज़ी से गायब जरुर हो सकती है, उसके लिए हमें हमारी दिनचर्या में कुछ जरुरी संशोधन / बदलाव करने ही होंगे


4 तरीके डायबिटीज को हराने के
DELA  -  DIET,  EXERCISE,  LIFESTYLE  &  AYURVEDA


क्या है वो चार तरीके (DELA):-


1. संतुलित खानपान (Diabetic DIET):-

क्या करें (Do's) / पथ्य आहार:-

  • 7 -9 के बीच नाश्ते में अंकुरित अनाज (मूंग, मोठ, चना) लें थोडी़ देर बाद पानी पीएं
  • दिन का खाना कोशिश करें जल्दी हो, भोजन में एक तिहाई भाग सलाद व फल पहले खाएं, फिर दो तिहाई भाग सब्जी रोटी लें, साथ में छाछ - मट्ठा लें
  • अपनी भूख का 80% ही भोजन करें, भोजन की क्वालिटी बढाएं, मात्रा घटाएं जैसे कार्बोहाईड्रेट (गेंहू, चावल, बाजरा, आलू) कम करें व प्रोटीन (दाल, अंडे आदि) की मात्रा बढाएं साबुत अनाज (Whole Grain) जैसे ब्राउन राइस, क्विनोआ, ओट्स या जौ भी शामिल करें
  • शाम को 3 से 5 बजे नाश्ते में फल, सलाद, भूने चने, अंकुरित अनाज ले सकते हैं, कुछ देर बाद पानी लें
  • रात का भोजन 7 बजे के आसपास लें, एक तिहाई सलाद पहले लें रात्रि को खाना अपेक्षाकृत कम मात्रा में लिया जाए
  • मैथी, बैंगन, भिन्डी, करेला, पत्ता गोभी, सहजन / Drumstick, एलोवेरा, लौकी, ककडी़, खीरा, प्याज, लहसुन, पालक अधिक खाएं; जबकि आलू व शकरकंद कम खाएं
  • सलाद में टमाटर, गाजर, चुकंदर, पत्ता गोभी, खीरा, ककडी़ आदि ले सकते हैं
  • फलों में सिट्रस फल जैसे मौसमी, संतरा, नींबू, पाईनेपल, सेव, अनार, नाशपाती, पपीता, जामुन खाएं
  • फल व सलाद ताजे हो तथा गर्म पानी से धुले हो
  • नारियल पानी;  नट मिल्क (बादाम, अंजीर, अखरोट का पेय बना कर) पीएं
  • हर माह में एक बार दो या तीन दिन लगातार केवल फल, बेरीज, सलाद, अंकुरित अनाज, सुखे मेवे ही खाएं (रसोपवास)

क्या न करें (Dont's) / अपथ्य:-

  • दूध, चाय, कॉफी, चॉकलेट, दूध से बनी मिठाईयां, पनीर का सेवन न करें  दूध की चाय के स्थान पर हर्बल चाय या हुंजा टी** ले सकते हैं
  • चीनी (Sugar) का प्रयोग न करें इसकी जगह गुड़ (जो रिफांइड न हो) का सेवन करें
  • रिफाइंड तेल, पाम ऑईल, कॉटन सीड ऑईल का प्रयोग न करें, ये अग्नाशय को क्षति पंहुचाते है पैकेज्ड फूड जैसे जैम, सॉस, ज्यूस, बिस्कुट, ब्रेड, नमकीन, भुजिया, चिप्स आदि का सेवन न करें पिज्जा, बर्गर न खाएं
  • कॉल्ड ड्रींक्स कदापि न पीएं
  • एल्युमिनियम के बर्तन खाना पकाने व रखने के काम में न लें
  • धूम्रपान, मद्यपान व तम्बाकू का सेवन न करें
इस प्रकार ऐसा खानपान रखें जो पोषक तत्व प्रदान करता हो तथा अग्नाशय की कोशिकाओं के पुनर्निर्माण में सहायक हो

Note :-
# = चने का उपयोग 40 + उम्र वाले कम करें या न करें
** = हुंजा टी - यह हर्बल चाय है इसे बनाने के लिए 3 पुदीना पत्ती, 2 तुलसी पत्ती, 1 ईलायची, 1 चुटकी दालचीनी पाउडर, 1 चम्मच गुड़, आधा चम्मच कसी अदरक 1 कप पानी में उबाले तथा धीमी आंच पर 5 मिनट रखे फिर छान कर कुछ बूँदे नींबू रस की डाले व पियें , दिन में दो बार


2. शारीरिक परिश्रम (EXERCISE):-

पूर्ण स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है कि शरीर की प्रत्येक कोशिका अपनी क्षमतानुसार कार्य करे 

ईश्वर की यही रचना की हुई है, अबोध बालक भी अपने हाथ पांव मारता है ताकि कोशिकाएं कार्य करती रहे

आधुनिक मशीनी युग में इन्सान शरीर की क्षमताओं का पूरा प्रयोग नहीं कर पाता फलस्वरूप कोशिकाओं को अधिक ऊर्जा नहीं चाहिए व इन्सुलिन की मांग धीरे धीरे कम हो जाती है कालांतर में यही डायबिटीज व अन्य विकारों का एक बडा़ कारण बन जाता है

क्या करें? 
  • अपनी रुचि व ईच्छानुसार एक घंटा व्यायाम / शारीरिक कसरत, पैदल सैर, दौड़, साईकलिंग, तैराकी, रस्सी कूद, नृत्य, खेल - फुटबाल, वॉलीबॉल, टेनिस, बैडमिंटन आदि कृत्य करें ताकि पसीने के साथ टॉक्सीन शरीर के बाहर निकलें
  • दिन में कम से कम 5 किमी पैदल अवश्य चले कार्यस्थल पर लिफ्ट, एलीवेटर, एस्केलेटर का प्रयोग न करके पैदल चलें / चढें कम दूरी के लिए बाईक या कार काम में ना लें

अधिक जानकारी के लिए 

3. जीवन शैली (LIFESTYLE):-

आज की भागमभाग वाली जिन्दगी में शरीर से अतिरिक्त कार्य कैसे करवाया जाए, यह तय करने वाले हम स्वयं हैं, कोई दूसरा हमसे कुछ नहीं करवा सकता 

फिर भी एक आदर्श जीवन शैली हेतु निम्न सुझाव है:-
  • सुबह जल्दी उठें, 5 से 5.30 तक
  • दैनिक नित्यकर्म - शौच आदि से निवृत होकर आधा घंटा ध्यान*, योग, प्राणायाम आदि करें, मानसिक तनाव धीरे धीरे कम हो जाएगा व जीवन में आनन्द का अहसास होने लगेगा
  • रात्रि 9-10 के बीच शयन करें/सोऐं ताकि 7 घंटे की निद्रा ले सकें शरीर की अंदरुनी मरम्मत या सर्विस सुप्तावस्था में ही होती है
  • ये कार्य 21 दिन तक लगातार याद रखके किए जाएं, तत्पश्चात आदत पड़ जाएगी
  • पांवों को साफ रखें, नाखून छोटे हो, पैरों की मालिश करें; सूती मौजे, नरम जूते या चप्पल पहनें ताकि घाव न पडें
  • टीवी, मोबाईल पर व्यर्थ समय बर्बाद न करें
  • बार बार ब्लड टैस्ट ना करें
  • हर परिस्थिति में मस्त रहें व जीवन का आनंद लें
Note:-
* = ध्यान (meditation):- जो ध्यान लगाना जानते हैं वो लगाएं जो नहीं जानते वो सरल व प्रभावी तरीेके से ध्यान की विधि सीखने के लिए हमसे संपर्क करें



4. आयुर्वेदिक औषधियों का उपयोग (AYURVEDA):-

  • डायबिटीज ग्रस्त (Fasting Blood Sugar 120 या HbA1C 6.5 से अधिक) लोगों के लिए खानपान-जीवनशैली व श्रम के साथ साथ दवा का उपयोग अति आवश्यक होता है, अन्य लोग केवल प्रथम तीन तरीके अपनाकर इस रोग से मुक्त रह सकते हैं
  • कौनसी दवा लें - आयुर्वेदिक या एलोपैथिक (Ayurvedic v/s Allopathic)? यह मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है अगर खून की जाँच में रोग की तीव्रता कम है अर्थात् फास्टिंग ब्लड शुगर 120 - 200 तक या HbA1C 6.5 - 7.5 तक है तथा कोई शारीरिक समस्या दृष्टिगोचर नहीं है तो आयुर्वेदिक उत्पाद लेने चाहिए तथा 3-6 माह बाद जाँच सामान्य होने पर दवा बंद कर दें व ऊपर के तीनों तरीके आजीवन अपनाएं
  • जब जाँच में तीव्रता अधिक हो अथवा लक्षण गम्भीर हो उस स्थिति में चिकित्सकीय परामर्श से एलोपैथिक उपचार लें तथा साथ में आयुर्वेदिक उत्पाद भी शुरू करें 2-3 माह बाद या जब जाँच में तीव्रता कम हो जाए व रोगी के लक्षण नियंत्रण में हो तब चिकित्सक की सलाह से अंग्रेजी दवा धीरे धीरे कम करते हुए बंद कर दें परन्तु आयुर्वेदिक उत्पाद 6 -9 माह तक जारी रखें तत्पश्चात पुन: जाँच करवाएं तथा स्थिति पूर्ण नियंत्रण में होने पर औषधि लेना छोड़ दें, परन्तु जीवनशैली, खानपान व श्रम का ऊपर वर्णित अनुसार सदैव पालन करें
  • डायबिटीज की वजह से शरीर के किसी भी भाग या अंग में विकार उत्पन्न होते हैं अत: डायबिटीज के उपचार के साथ-साथ इन विकारों का उपचार भी आवश्यक होता है
  • जैसा कि हम सभी जानते हैं कि एलोपैथी केवल लक्षणों को नियंत्रित करती है, डायबिटीज के कारण को नहीं, साथ ही उनके बहुत अधिक दुष्प्ररिणाम/साईड इफेक्ट भी होते हैं ... तो क्या एलोपैथी का उपयोग नहीं करना चाहिए?  जब तक आयुर्वेदिक औषधि कारण को दूर करे यानि अग्नाशय की कोशिकाओं का निर्माण करदे व प्राकृतिक इन्सुलिन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो जाए तब तक गंभीर लक्षणों के नियंत्रण के लिए एलोपैथी का उपयोग आवश्यक है
  • अगर आप एलोपैथिक के साथ आयुर्वेदिक उपचार नहीं अपनाते हैं तो फिर जीवन पर्यंत एलोपैथी लेनी पड़ेगी
  • आयुर्वेद में प्रयुक्त होने वाली औषधियां अधिकतर इनसे बनाई जाती हैं- नीम, करेला, मैथी, दालचीनी, गुड़मार, कत्था-सुपारी, पालक, लहसुन, आदि आयुर्वेदिक उत्पाद किसी प्रशिक्षित व दक्ष वैद्य से लें या ऐसी कंपनी के हो जो विश्वसनीय, सरकारी एजेन्सियों से प्रमाणित हो तथा जरुरी शोध के साथ उच्च गुणवत्ता के हानिरहित उत्पाद उपलब्ध करवाती हो

डायबिटीज को हराने में सहायक आयुर्वेदिक औषधियां 

नीम 

नीम की पत्तियों में फ्लेवोनोइड्स, ट्राइटरपेनॉइड, एंटी-वायरल यौगिक व ग्लाइकोसाइड प्रचूर मात्रा में होते हैं, जो रक्त में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।

मात्रा व विधि - 
रोजाना मुट्ठी भर नीम की पत्तियों को पानी से साफ़ करके चबाएं, नीम पाउडर मिश्रण का सेवन करें या नीम का शरबत पिएं।

मधुमेह नियंत्रण हेतु नीम का पानी या शरबत बनाने की विधि:
  • आधा लीटर पानी में नीम के 20 पत्तों को लगभग 5 मिनट तक उबालें।
  • अब पत्ते नरम दिखने लगेंगें एवं पानी धीरे-धीरे गहरे हरे रंग का हो जाएगा।
  • पानी (काढ़े) को छान कर बर्तन में भर कर रख लें।
  • दिन में दो बार एक कप इस काढ़े का अवश्य पियें।
नीम पाउडर मिश्रण - नीम पाउडर, मेथी पाउडर, जामुन पाउडर व करेला पाउडर, सभी समान अनुपात में मिला लें। दोनों समय भोजन से आधा घंटा पहले एक चम्मच मिश्रण पानी के साथ सेवन करें।

करेला

करेला मधुमेह को प्राकृतिक रूप से नियंत्रित करने में सहायक होता है करेले के ज्यूस में Charanti, Vicine, Polypeptide-P, Lectin, Momordicine आदि पाये जाते हैं, जो ब्लड शुगर को कम करते हैं। इसमें पाया जाने वाला कैटेचिन एक अच्छा एंटीऑक्सीडेंट होता है कम कैलोरी व अधिक फाइबर की वजह से करेला वजन घटाने में सहायक है, इसमें पाया जाने वाला विटामिन-सी इम्युनिटी बढ़ता है, विटामिन-ए आँखों व त्वचा के लिए अच्छा होता है

मात्रा व विधि - प्रतिदिन सुबह एक गिलास करेले का ज्यूस नियमित पीने से रक्त में शर्करा का स्तर संतुलित रहता है। 

करेले के ज्यूस के कड़वेपन को कम करने के लिए इसमें कुछ अन्य फलों का रस मिला सकते हैं, जैसे - नींबू-रस या सेव का रस।

नींबू रस व करेले का ज्यूस बनाने की विधि - 

  • दो धुले करेलों को बिना छिले छोटे-छोटे टुकड़ों में काटिए।
  • इनमें से बीज निकालकर पानी, नमक व छोटा चम्मच हल्दी पाउडर के साथ मिलाकर 15 मिनट के लिए रख दीजिये।
  • अब करेले के टुकड़ों को बाहर निकालकर पानी फेंक दीजिये।
  • एक ब्लेंडर में करेले, पानी, चौथाई छोटा चम्मच सेंधा-नमक व आधा छोटा चम्मच नींबू का रस मिलाकर ब्लेंड कर लीजिये व ज्यूस को गिलास में डाल कर पी लीजिये। 
सेव व करेले का ज्यूस बनाने की विधि - 

  • एक धुले करेले को बिना छिले छोटे-छोटे टुकड़ों में काटिए।
  • इसके बीज निकालकर आधा घंटा ठन्डे पानी में भिगो कर रखिये।
  • मिक्सर-ग्राइंडर में करेले के टुकड़े, आधा छोटा चम्मच नमक, आधा छोटा चम्मच नींबू का रस व आधा कप सेव का रस मिला कर पीस लीजिये, व ज्यूस को गिलास में डाल कर पी लीजिये।
पुरानी मान्यता के अनुसार करेले के रस में पांव डुबोकर लगभग आधा घंटा रखने से भी डायबिटीज को नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन अभी इसके कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं।

मेथी दाना

मेथी के बीज या मेथी दाना में फाइबर व अन्य रसायन होते हैं जो पाचन प्रक्रिया को धीमा करते हैं, तथा कार्बोहाइड्रेट (शुगर - शर्करा) के शरीर में अवशोषण को नियंत्रित करते हैं। मेथी दाना इन्सुलिन हार्मोन को बढाने में मदद करके शरीर की कोशिकाओं में शर्करा के बेहतर उपयोग हेतु सहायता करता है, तथा इससे रक्त में शर्करा के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है यह कोलेस्ट्रॉल को भी नियंत्रित करता है

मधुमेह नियंत्रण हेतु मेथी का सेवन कई तरह से किया जा सकता है - मेथी दाना (गर्म पानी में भिगोया), अंकुरित मेथी दाना, मेथी पाउडर (रोटी बना कर या दही के साथ), मेथी चाय, मेथी दाना पानी या अन्य जड़ी-बूटियों व मसालों के साथ मिला कर (मेथी पाउडर के साथ हल्दी व आंवले के सूखे चूर्ण को बराबर मात्रा में मिलाकर प्रतिदिन एक-एक चम्मच दिन में तीन बार पानी के साथ लिया जा सकता है)

मेथी दाना खुराक मात्रा - 

  • सामान्य या प्री-डायबिटिक व्यक्तियों के लिए 2 - 5 ग्राम, 
  • टाइप -2 मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए 10 - 15 ग्राम तथा 
  • टाइप -1 मधुमेह के लिए 50 - 100 ग्राम प्रतिदिन

अधिक मात्रा में ना लें गैस एवं आफरे की शिकायत हो सकती है

इसका सेवन भोजन से पहले या साथ में किया जा सकता है

सुबह या शाम ? - जब आपके भोजन में कार्ब्स अधिक मात्रा में हो

अगर अन्य कोई दवा ले रहें हैं तो 1 घंटे का अन्तराल रखें

गर्भवती महिला को न दें

दालचीनी

दालचीनी में एंटी-ऑक्सीडेंट प्रचूर मात्रा में पाये जाते हैं जो अग्नाशय की कोशिकाओं को फ्री-रेडिकल से होने वाले नुकसान से बचाते हैं दालचीनी इन्सुलिन हार्मोन को कार्य करने में सहयोग करती है भोजन के बाद आमाशय को जल्दी खाली होने से रोक कर व पाचक एंजायमों को कम करके रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करती हैब्लड प्रेशर व हृदय की कार्य-प्रणाली को सुचारू रखती है

मात्रा व विधि - 

मात्रा - 3 से 6 ग्राम प्रतिदिन

दालचीनी छाल के एक छोटे टुकड़े (लगभग 2 इंच) को एक गिलास पानी में भिगो कर रात भर रखें, अगली सुबह खाली पेट पी लें

दालचीनी के पाउडर को दूध, चाय, कॉफी या अन्य पेय के साथ या दाल व कढी के साथ या पकवान जैसे खीर, हलवा, बर्फी आदि के साथ ले सकते हैं

इसकी अधिक मात्रा लीवर को नुकसान पहुंचा सकती है

गुड़मार

गुड़मार की पत्तियों का चूर्ण या क्वाथ एंटीऑक्सीडेंट व सूजन-रोधी गुणों के कारण मधुमेह टाइप I और टाइप II दोनों में अत्यधिक प्रभावी होता है। यह अग्नाशय की कोशिकाओं को मुक्त कणों (Free Radicals) से होने वाले नुकसान से बचाकर, शरीर में इंसुलिन के स्तर को बढ़ाकर ब्लड शुगर लेवल को कम करता है

यह खराब कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) कम करके अच्छे कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल) को बढ़ाने में मदद करता है, मोटापा घटाने में मदद करता है। 

यह मीठा खाने की लालसा को कम करता है

मात्रा व विधि - 

गुडमार चूर्ण - दोनों समय भोजन के बाद आधा छोटा चम्मच गुडमार चूर्ण पानी के साथ निगल लें।

गुडमार क्वाथगुडमार क्वाथ 4-5 चम्मच क्वाथ में उतना ही पानी मिलाएं तथा दिन में एक बार भोजन से पहले पिएं।

अधिक मात्रा में गुड़मार के सेवन से रक्तचाप कम होना, मतली, सिरदर्द, चक्कर आना आदि हो सकता है।

कत्था-सुपारी (Areca Nut or Betel-nut)

कत्था-सुपारी या अरेका नट में मधुमेह-रोधी गुण पाये जाते हैं, इसके प्रयोग से शरीर की कोशिकाओं में शुगर का समुचित उपयोग होना पाया गया है। 

मधुमेह-रोधी प्रभाव हेतु कत्था-सुपारी या अरेका नट को बिना किसी मसाले के खाना चाहिए अथवा इसकी चाय (Areca Tea) बना कर पीनी चाहिए। 

पालक

पालक में कार्ब्स व कैलोरी बहुत ही कम तथा पोषक तत्व जैसे पॉलीफेनोल व विटामिन-C भरपूर मात्रा में होते हैं, जो ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने में मदद करते हैं। पालक में भरपूर मात्रा में मैग्नीशियम होता है जो इंसुलिन को सक्रिय करने में मदद करता है।

सब्जी के अलावा पालक को करेले के साथ ज्यूस बना कर पीया जा सकता है।

लहसुन

लहसुन में पाये जाने वाला एलीसिन नमक तत्व डायबिटीज के नियंत्रण के लिए सर्वाधिक उपयोगी आयुर्वेदिक औषधि है यह इन्सुलिन के निर्माण व कोशिका स्तर पर इसके सुचारू कार्य करने में मदद करता है 

मात्रा व सेवन विधि - 
  • डायबिटीज के नियंत्रण के लिए एक दिन में जितना एलीसिन चाहिए उसके लिए लहसुन की लगभग 36 कलियाँ खायी जानी चाहिए
  • लहसुन को पकाने से एलीसिन निष्क्रिय हो जाता है, अतः कच्चे लहसुन का सेवन सही रहता है
  • लेकिन लहसुन की 36 कच्ची कलियाँ खाना व्यवहारिक रूप से सम्भव नहीं है
  • फिर भी अगर कोई हिम्मत करके खा भी ले तो आमाशय के जठर-रस (तेजाब) से एलीसिन नष्ट हो जाता है, जबकि एलीसिन को अग्नाशय में पंहुचने के लिए आंतों से रक्त में अवशोषित होना पड़ता है
  • अतः इतनी बड़ी मात्रा में एलीसिन को आँतों तक अप्रभावित रूप से पहुँचाना हो तो एक विशेष तकनीक का सहारा लेना पड़ता है जिसे एलीसिन स्टेबिलाइजेशन कहा जाता है
  • बाज़ार में 100% Stabilized Allicin के आयुर्वेदिक कैप्सूल उपलब्ध हैं जो कि डायबिटीज नियंत्रण के लिए बेहद प्रभावी होते हैं

अन्य आयुर्वेदिक नुस्खे - 

एलो-वेरा ज्यूस, करी-पत्ते, अदरक, आम के ताजा पत्तों की चाय, जामुन की गुठलियों का पाउडर आदि भी मधुमेह के नियंत्रण में मददगार साबित हुए हैं। 


Disclaimer - 

  1. यहाँ दिए गए सभी आयुर्वेदिक उपाय मधुमेह के नियंत्रण के लिए प्रभावी हैं, लेकिन इनका असर भिन्न-भिन्न व्यक्तियों में भिन्न हो सकता है।
  2. इन उपायों के साथ-साथ आप अपना अन्य उपचार जो पहले से चल रहा है, उसे नहीं छोड़ें या अपने फिजिशियन से परामर्श अवश्य करें।

आप चाहे तो एक ऐसे  जबरदस्त असरकारी उत्पाद की जानकारी ले सकते हैं जिसका आविष्कार यूरोप के गारलिक किंग कहे जाने वाले पीटर जोसलिंग द्वारा किया गया है तथा भारत में यह फार्मूला पेटेन्टेड है, जिसे 10 से अधिक सर्टिफिकेशन प्राप्त है इसमें मुख्य घटक लहसुन का एलिसिन (100% stabilized) होता है साथ में अन्य 8 हर्ब्स जैसे करेला, नीम, गुड़मार, दालचीनी आदि के लाभकारी गुण होते हैं एक शाकाहारी कैप्सूल में 36 लहसुन कली के बराबर एलिसिन होता है, जो कि इस तकनीक से बनाया हुआ होता है कि पेट के तेजाब से नष्ट नहीं होता है तथा सीधा आंतों में जाकर रक्त में अवशोषित होकर अग्नाशय तक पंहुचता है यह HbA1C तथा ब्लड ग्लूकोज दोनों पर असर करता है 

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कैसे निर्धारित हो कि हमने डायबिटीज को हरा दिया है?

  • जब शरीर के किसी भाग या अंग में कोई विकार नहीं है
  • रक्त की सभी जाँच सामान्य हो गई हैGTT या OGTT (Oral Glucose Tolerance Test) सामान्य हो गया है, इस टेस्ट में 75 ग्राम शुगर खिलाकर ब्लड शुगर की जाँच की जाती है 
  • मूत्र में शुगर नहीं है
  • शरीर को दवाओं की जरुरत महसूस नहीं हो रही है
  • शारीरिक क्षमता पहले जैसी वापिस हो गई है
  • मनपसंद चीज खाने के बाद कोई तकलीफ़ नहीं है
  • बिन किसी दवा के लगातार एक वर्ष तक HbA1C का स्तर 5.7 से कम है

अब आपने डायबिटीज को हरा दिया है, ......है ना!!!
यह थोडा़ मुश्किल है पर नामुमकिन नहीं है

डायबिटीज - क्या, कैसे, क्यों, प्रकार, लक्षण, निदान आदि की विस्तृत जानकारी के लिए हमारे लेख - "मधुमेह से मुक्त जीवन की ओर" पढें

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उर्हरी

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