मधुमेह से मुक्त जिन्दगी की ओर
Towards Diabetes Free Life
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मधुमेह - प्रकार, कारण, लक्षण, पहचान व उपचार |
TABLE OF CONTENTS
डायबिटिज के प्रकारमधुमेह बनने की प्रक्रिया
मधुमेह के लक्षण
मधुमेह होने के कारण
मधुमेह की पहचान
मधुमेह का नियंत्रण व बचाव
डायबिटिज के प्रकार:-
चिकित्सा विज्ञान में डायबिटिज दो तरह की होती है -A. डायबिटिज इन्सीपिडस (DI-Diabetes insipidus):-
B. डायबिटिज मेलाईटस (DM):-
1. गैस्टेशनल:-
2. Type-1 या IDDM (Insulin Dependant Diabetes Mellitus):-
3. Type -2 या NIDDM (Non Insulin Dependant Diabetes Mellitus):-
शरीर में मधुमेह बनने की प्रक्रिया (Pathophysiology of Diabetes):-
- शरीर के किसी भी भाग में कोई भी कार्य जिस स्थान पर होता है उसे कोशिका कहते हैं; जैसे देखने का कार्य आँख की कोशिकाएं, मूत्र निर्माण व उत्सर्जन का कार्य किडनी की कोशिकाएं करती है, आदि। मानव शरीर में लगभग 70 लाख कोशिकाएं होती है। इन सभी कोशिकाओं को अपना अपना काम करने के लिए ऊर्जा की आवशयकता होती है जिसके लिए कोशिका के अन्दर आक्सीजन व ग्लूकोज का होना जरूरी होता है।
- फेफडो़ से आक्सीजन व आंतों से ग्लूकोज को रक्त द्वारा प्रत्येक कोशिका तक पंहुचाया जाता है। ग्लूकोज को रक्त से कोशिका के अन्दर जाने के लिए इन्सुलिन नामक हार्मोन की सहायता लेनी पड़ती है।
- इन्सुलिन अग्नाशय (pancreas) की बीटा -2 कोशिकाओं द्वारा बनाया जाता है तथा रक्त द्वारा ही कोशिकाओं तक पंहुचाया जाता है।
- भोजन में लिए गये कार्बोहाईड्रेट जैसे गेहूं, बाजरा, मक्का, ज्वार, जौ, चावल, आलू आदि पचने के बाद ग्लूकोज / शर्करा (sugar) में बदल जाते हैं जो कि आंतों से रक्त में चला जाता है। अत: खाना खाने के बाद रक्त में ग्लूकोज की मात्रा एक बार बढ जाती है तथा कोशिकाओं तक वितरण के बाद वापिस सामान्य हो जाती है।
अब समझते हैं मधुमेह कैसे होती है?
जब अग्नाशय की बीटा कोशिकाएं किसी भी कारण से नष्ट हो जाती है तो इन्सुलिन बनना बंद हो जाता है (टाईप 1), या इन कोशिकाओं द्वारा इन्सुलिन कम बनाया जाता है अथवा इन्सुलिन की क्रियाशीलता कम हो जाती है (टाईप 2) तो ग्लूकोज रक्त से कोशिका के अन्दर नहीं जा पाता है एवं रक्त में ग्लूकोज की मात्रा असामान्य रूप से बढ जाती है।मधुमेह के लक्षण (Symptoms of Diabetes):-
- रक्त में शुगर के बढने से पतली रक्त नलिकाओं की दीवारों को नुकसान पंहुचता है मुख्यतः हाथ व पांव की अंगुलियों के किनारे, जहां तंत्रिकाएं काम नहीं कर पाती व चुभन या सनसनाहट महसूस होती है (न्यूरोपैथी)।
- पाचन तंत्र की तंत्रिकाओं के कार्य न करने से उबाक आना, उल्टी, दस्त या कब्ज होना।
- पुरूषों के जननांग में शिथीलता (ED)। महिलाओं में योनि संक्रमण।
- गुर्दे की कोशिकाएं प्रभावित होने पर गुर्दे फेल हो जाते हैं (नेफ्रोपैथी)। पेशाब में शुगर ज्यादा निकलने व बार बार पेशाब आने से शरीर में पानी की कमी होना व अधिक प्यास लगना, शरीर पतला पड़ना।
- मस्तिष्क प्रभावित होने पर याददाश्त में कमी (अल़जाईमर), सिर दर्द, डिप्रैशन , चिड़चिड़ाहट आदि।
- हृदय प्रभावित होने पर धड़कन बढना, अनियमित ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल व हृदयाघात हो सकता है।
- आँखों में रेटिना प्रभावित होने पर (रेटिनोपैथी) कम दिखना, अँधापन, मोतियाबिंद, ग्लूकोमा आदि।
- त्वचा में बैक्टिरियल, वायरल, फंगल इन्फेक्शन बढ जाते है, प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने से घाव ठीक नहीं होते हैं।
- कानों से कम सुनाई देता है।
- मांसपेशियों में कमजोरी व थकान, जोडों में दर्द।
- अधिक भूख लगना।
- थाईरॉइड ग्रंथि के स्त्राव कम या ज्यादा होना व वजन बढना।
मधुमेह होने के कारण (Etiology - Causes of Diabetes):-
2. शारीरिक श्रम व सक्रियता व निद्रा की कमी (Loss in physical activity) से इन्सुलिन बनने में व क्रियाशीलता में कमी होती है।
3. मानसिक तनाव व दबाव (Tension and Stress) :- इनके लगातार रहने से शरीर में टॉक्सिन पैदा होते हैं जो बीटा कोशिकाओं को नुकसान पंहुचाते है।
4. अनियमित खानपान व पोषक तत्वों की कमी :- पिछले कुछ वर्षों से डायबिटीज में अचानक वृद्धि का ये एक मुख्य कारण है। रासायनिक खाद व पैस्टीसाईड के अत्यधिक उपयोग से जमीन के लाभदायक सूक्ष्म जीव (microorganisms) मर रहे हैं खाद्य पदार्थों में पोषक तत्वों की कमी आ रही है। फूड पैकेजिंग से भी पोषक तत्व कम हो जाते है। आजकल लगभग सभी नमकीन, भुजिया, चिप्स आदि पाम आयल या कॉटन सीड आयल में बनाये जाते हैं जो कि बीटा कोशिकाओं का बहुत अधिक नुकसान करते हैं।
5. प्रदूषित हवा तथा रासायनिक पैस्टीसाईड के शरीर में जाने से भी टॉक्सिन का स्तर बढता है तथा इन्सुलिन निर्माण में कमी आती है।
मधुमेह की पहचान (Diagnosis / Tests of Diabetes):-
1. लक्षण से
2. मूत्र परीक्षण
3. रक्त परीक्षण:-
(a). Blood Sugar tests - Fasting, Random, PP, OGTT आदि रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बताते हैं। ये डायबिटीज का संकेत देते हैं।मधुमेह का नियंत्रण व बचाव (Diabetes - Control and Prevention):-
(1). मधुमेह नियंत्रण हेतु औषधियां:-
एलोपैथी -
इनका काम करने का तरीका (mode of action) इस प्रकार से हो सकता है -
- आंतों से ग्लूकोज का रक्त में अवशोषण कम करके रक्त में शुगर की मात्रा बढने नहीं देना।
- किडनी द्वारा मूत्र में ग्लूकोज का उत्सर्जन बढा कर रक्त में शुगर की मात्रा कम करना।
- पाचन की क्रिया को धीरे करके ग्लूकोज का स्तर कम करना।
- अग्नाशय की बीटा कोशिकाओं को उत्तेजित करके उनसे ज्यादा इन्सुलिन बनवाना।
- शरीर की कोशिकाओं की इन्सुलिन के प्रति सक्रियता बढाना।
- लीवर में ग्लूकोज के निर्माण को कम करना।
इस प्रकार ये दवाइयां रक्त में शुगर की मात्रा को तो नियंत्रित कर लेती है मगर नई बीटा कोशिकाओं का निर्माण नहीं कर पाती, फलस्वरूप शरीर की कोशिकाओं को ऊर्जा हेतु पर्याप्त ग्लूकोज नहीं मिल पाता है तथा डायबिटीज कभी समाप्त नहीं होती है व दिनों दिन स्वास्थ्य और ज्यादा बिगड़ता जाता है।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि ये दवाइयां समस्या को छुपाती है, हल नहीं करती (Instead solving, these medicines HIDE the problem)।
अधिकतर दवाइयां (Oral Hypoglycemic Agents) रक्त में शुगर की मात्रा को कम करने के लिए ग्लूकोज को फैट में बदल देती है, यही कारण है कि डायबिटीज के रोगी जो एलोपेथिक दवाइयां ले रहे होते हैं उनके शरीर का वजन और ज्यादा बढ़ता जाता है।
साथ ही इन दवाइयों के निम्न दुष्प्रभाव भी सेहत को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं :-
- जी मचलना, दस्त, ब्लड शुगर मात्रा सामान्य से कम हो जाना, वजन बढना या कम होना, खून की कमी होना, जोडो़ का दर्द, अग्नाशय का सूजना, योनि व मूत्र तंत्र में संक्रमण होना, ब्लड प्रेशर कम होना, हृदयघात आदि।
- बाहरी इन्सुलिन के इंजेक्शन से एक बार तो स्थिति सामान्य हो जाती है लेकिन लम्बे समय तक प्रयोग से ब्लड शर्करा कम हो जाती है व अग्नाशय में कैंसर के अलावा ब्रैस्ट, कोलोरेक्टल, प्रोस्टेट आदि कैंसर हो सकते हैं।
आयुर्वेदिक औषधियां -
(2). जीवन शैली में बदलाव:-
- कार्बोहायड्रेट युक्त भोजन में कमी करते हुए प्रोटीन युक्त भोजन की मात्रा बढ़ाएं।
- अंकुरित अनाज खाएं।
- भोजन से पहले कम से कम एक तिहाई सलाद व फल लें।
- नारियल पानी, बादाम, अखरोट का सेवन करें।
- दूध, चाय, मिठाई नहीं ले।
- रिफाइंड तेल, चीनी, पाम तेल, पैकेज्ड खाद्य पदार्थ जैसे सॉस, जैम, ज्यूस आदि, बिस्कुट, ब्रेड, पिज्जा, बर्गर, कोल्ड ड्रिंक्स आदि से बचें।
- एल्युमिनियम के बर्तन काम में न लें।
3. शारीरिक श्रम धीरे धीरे बढाते हुए जितना अधिकतम कर सकें करें।
Shandaar
ReplyDeleteज्ञानवर्धक
ReplyDeleteExcellent
ReplyDeleteExcellent
ReplyDeleteVery useful information
ReplyDeleteThanks
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