नेटवर्क मार्केटिंग एवं डिजिटल नेटवर्क मार्केटिंग क्या होती है?
नेटवर्क मार्केटिंग या डायरेक्ट सेलिंग या मल्टी लेवल मार्केटिंग (MLM) या डायरेक्ट मार्केटिंग आदि शब्दों के बारे में आपने या तो सुना होगा या फिर बिलकुल नहीं जानते होंगें।
अगर सुना है तो या तो आपने इसे किया होगा या आपके किसी जानकार ने किया होगा। लेकिन सवाल यह है कि क्या आपको इसकी पूर्ण व विस्तृत जानकारी है ?
- नेटवर्क मार्केटिंग वास्तव में क्या है?
- डिजिटल नेटवर्क मार्केटिंग क्या है?
- क्या डायरेक्ट सेलिंग बिज़नेस एक वास्तविक व्यापार है या कोई स्कीम?
- इस व्यापार में क्या होता है?
- क्या नेटवर्क मार्केटिंग वही व्यापार है - जिससे आप पीढ़ियों तक स्थाई रोजगार, सुरक्षित व पैसिव इनकम ले सकते हैं, चाहे आपमें काबिलियत है या नहीं, निवेश कर सकते हैं या नहीं, अनुभव है या नहीं, किसी भी उम्र या लिंग के हैं?
- क्या नेटवर्क मार्केटिंग वही व्यापार है - जिसमें कोई रिस्क व कम्पीटीशन नहीं होता है?
चाहे आप नेटवर्क मार्केटिंग या डायरेक्ट सेलिंग के बारे में कुछ भी नहीं जानते हो, थोड़ा बहुत जानते हो, आपने या आपके किसी जानकार ने किया होगा, इस जानकारी को पढने के बाद "वास्तव में नेटवर्क मार्केटिंग क्या है?" यह आपको कहीं और ढूँढना नहीं पड़ेगा।
नेटवर्क मार्केटिंग को समझने से पहले आइये जानते है कि -
- वर्तमान में प्रचलित मार्केटिंग (Traditional Marketing परम्परागत व्यापार) में क्या होता है?
- FRANCHISEE Model of Business क्या होता है ?
- AFFILIATE MARKETING and other REFERRAL Systems कैसे काम करते हैं?
परम्परागत व्यापार Traditional Marketing
जैसा की आपने पहले पढ़ा - हर व्यापार के तीन आवश्यक स्तर होते हैं - उत्पादक या निर्माता, मार्केटिंग (वितरण, विज्ञापन) व उपभोक्ता या ग्राहक। ये तीनों परम्परागत व्यापार में बखूबी होते हैं।
Traditional Marketing को एक उदाहरण से समझते हैं।
माना कि मैंने एक कोरियाई कम्पनी का मोबाईल पास के एक रिटेल शोरूम से 10,300 में खरीदा है।
कोरियाई कम्पनी से मुझ तक वह इस प्रकार पंहुचा है -
कम्पनी ➡C & F agent ➡ National stockist ➡ Super stockist➡ Stockist ➡ Wholesaler and ➡ Retailer.
कम्पनी इन सब को इनका हिस्सा देती है, साथ ही कम्पनी विज्ञापन, मार्केटिंग स्टाफ जैसे सेल्समेन, एरिया मैनेजर आदि एवं सर्विस सेंटर आदि पर होने वाला खर्चा व सभी का भुगतान स्पष्ट है कि मेरे द्वारा चुकाए गए 10300 में से ही निकालेगी।
इन सबका हिस्सा इस प्रकार रहेगा :-
कम्पनी रेट - 3,000
विज्ञापन व अन्य खर्चे - 1,000
C & F agent - 100
National stockist - 200
Super stockist - 400
Stockist - 800
Wholesaler - 1600
Retailer - 3200
-------------------------------------------
Total cost - 10,300
-------------------------------------------
अब ऊपर से देखने पर लगता है कि सबसे ज्यादा रिटेलर कमा रहा है व सबसे कम C&F agent. .......है ना !
लेकिन असलियत कुछ और है, सबसे ज्यादा कमाई कम्पनी करती है, उस के बाद C&F agent एवं उत्तरोत्तर क्रम में सबसे कम रिटेलर।
यह कैसे सम्भव है ???
आईये इस गणित को समझते हैं :-
कम्पनी देश के लिए एक C&F agent रखती है, उसके नीचे 5 जोन (उत्तरी, दक्षिणी, पूर्वी, पश्चिमी व मध्य जोन) में एक - एक National Stockist रखती है।
National Stockist के नीचे हर राज्य में एक-एक Super Stockist होता है (माना औसतन 6 -6 प्रत्येक के नीचे)।
प्रत्येक Super Stockist के नीचे हर जिले में एक - एक Stockist होता है (माना औसतन 30 प्रत्येक के नीचे)l
इसी प्रकार Stockist के नीचे हर तहसील में एक - एक Wholesaler (माना औसतन 10 प्रत्येक के नीचे) एवं कम से कम 10 रिटेलर तो प्रत्येक Wholesaler के नीचे होंगे ही।
इस प्रकार इस उदाहरण में कुल कितने मध्यस्थ होंगे -
C&F agent - 1
National stockist - 5
Super stockist - 5 × 6= 30
Stockist - 30 × 30 = 900
Wholesaler - 900 ×10 = 9000
Retailer - 9000×10 = 90000
कुल = 99,936 लोग।
अब माना प्रत्येक रिटेलर दिन में कम से कम एक मोबाइल (10300 वाला) अवश्य बेचता है तो कम्पनी व C&F Agent के लिए प्रतिदिन 90000 मोबाइल बिकते हैं।
तो अब जानते हैं कि प्रत्येक स्तर पर कौन कितना कमाता है एक दिन में केवल एक मोबाइल प्रत्येक रिटेलर के बेचने से -
Retailer (R) - 1×3200 = 3,200
Wholesaler - 10(R) ×1600 = 16,000
Stockist - 100(R) × 800 = 80,000
Super stockist - 3000(R) × 400 = 12,00,000
National stockist - 18000(R) ×200 = 36,00,000
C&F agent - 90000(R) ×100 = 90,00,000
परम्परागत व्यापार की कुछ खास बातें -
- यहाँ पर भी एक नेटवर्क बन रहा है, लेकिन केवल विक्रेताओं का, ग्राहक इस नेटवर्क में शामिल नहीं है, अतः उसे केवल सामान मिलता है।
- प्रतिदिन जितने भी मोबाइल बिकते हैं उनका लगभग 70% हिस्सा इन 99936 मध्यस्थों व विज्ञापन (मार्केटिंग) में बंट जाता है, जो कि एक बहुत बड़ी राशि होती है।
- एक रिटेलर द्वारा बेचे गए एक मोबाइल से कम्पनी के अलावा कुल 6 लोग (C&F से रिटेलर तक) ही लाभान्वित होते हैं।
- C&F agent को एक मोबाइल बिकने पर केवल 100 रू बचते हैं मगर चूंकि उसका नेटवर्क विशाल है अतः वह एक दिन में लगभग 90 लाख कमा लेता है।
- विज्ञापनकर्ता (सेलेब्रिटी या मॉडल) कम्पनी से एकमुश्त या समझौते अनुसार पैसा लेता है, वह स्वयं सामान नहीं बेचता बल्कि उसके विज्ञापन से प्रभावित होकर लोग रिटेलर से सामान खरीदते हैं। वह स्वयं उस सामान को प्रयोग करे या नहीं यह जरुरी नहीं होता, केवल उसकी फेस वैल्यू या नाम बिकता है।
(NOTE: यहाँ दिए गए आँकड़े व मध्यस्थों के नाम व क्रम उदाहरणार्थ है, वास्तविकता में इनमें फेरबदल हो सकता है।)
फ्रेंचाइजी सिस्टम
आपने फ्रेंचाइजी मॉडल तो सुना ही होगा, जैसे मैक्डॉनाल्ड रेस्तरां चैन, डोमिनो'ज, के एफ सी, पिज्जा हट, बाटा आदि।
आइये एक उदाहरण से जानते है कि इस मॉडल में बिजनेस कैसे होता है ?
माना कि "X" एक बिजनेसमैन है। उसे अपने शहर में मैक्डॉनाल्ड का रेस्तरां खोलना है, तो उसे मैक्डॉनाल्ड के मालिक Ray Krock family को 4 लाख रूपये देकर रेस्तरां खोलने का अधिकार खरीदना होगा।
अब X लाखों रूपये लगाकर मैक्डॉनाल्ड के नियमानुसार बिल्डिंग बनवाएगा तथा मैक्डॉनाल्ड की रेसिपी व नाम से स्वयं मेहनत करके आय अर्जित करेगा एवं प्रतिदिन अपनी आय (लाभ) का 4% हिस्सा मैक्डॉनाल्ड के मालिक को भेजेगा।
अब अगर X अपने बेटे या अन्य किसी जानकार को मैक्डॉनाल्ड नाम से रेस्तरां खुलवाना चाहे तो नहीं खुलवा सकता। उन्हें फिर से मैक्डॉनाल्ड से फ्रेंचाइजी खरीदनी पड़ेगी।
मैक्डॉनाल्ड की विश्व में ऐसी 36,000 फ्रेंचाइजी काम कर रही है, एक फ्रेंचाइजी से न्यूनतम 100 रू प्रतिदिन भी मानें तो उसका मालिक कितनी विशाल कमाई कर रहा है, आप सोच सकते हैं।
इसे पेसिव इनकम कहते हैं, अर्थात मैक्डॉनाल्ड स्वयं कोई मेहनत नहीं कर रहा, केवल अपने नाम से घर बैठे करोड़ों कमा रहा है, बस उसने शुरूआत में अच्छी मेहनत करके अपना नाम बना लिया।
दूसरी तरफ X की आय एक्टिव इनकम कहलाती हैं, हालांकि वह मैक्डॉनाल्ड के नाम की वजह से अच्छा कमाएगा, लेकिन वह स्वयं मेहनत करेगा, अपना समय देगा तो ही कमाई कर पाएगा।
प्राइवेट फ्रेंचाइजी
मान लीजिए X को अधिकार मिल जाए कि जो वह कर रहा है उसे अपने बेटे या अन्य किसी जानकार से करवा सके तथा उनसे उनकी प्रतिदिन आय का कुछ हिस्सा (Profit sharing) प्राप्त कर सके, एवं उसका बेटा या अन्य लोग भी ऐसा कर सके, एवं आगे का हर व्यक्ति कर सके तो सोचिए X व उससे फ्रेंचाइजी लेने वाले भी अब पेसिव इनकम कमा पाएंगे।
इस सिस्टम को प्राइवेट फ्रेंचाइजी कहते हैं, तथा नेटवर्क मार्केटिंग में इसी सिस्टम पे कार्य होता है अर्थात नेटवर्क मार्केटिंग में यह सिद्धांत भी काम करता है।
AFFILIATE MARKETING AND OTHER REFERRAL SYSTEMS
एफिलिएट मार्केटिंग एक ऑनलाइन किया जाने वाला व्यापार होता है जिसमें एक उत्पाद-निर्माता या सेवा-निर्माता या उत्पादक या कंपनी होती है, खरीदने वाला ग्राहक होता है एवं आप और हम जैसे लोग एफिलिएट मार्केटर के रूप में ऑनलाइन प्रचार करके कंपनी के उत्पादों को ग्राहक तक पंहुचाते हैं एवं अपना तयशुदा कमीशन पाते हैं।
अन्य रेफर सिस्टम जैसे मोबाइल एप रेफ़र करना, कार, बाइक आदि किसी जानकार को खरीदवाना, अपने जानकार को किसी मॉल में खरीददारी करवाना, आदि-आदि।
इनके बारे में तो आपने सुना ही होगा, ये सब भी आपके रेफर करने से होने वाली बिक्री पर आपको थोड़ा सा कमीशन देते है।
नेटवर्क मार्केटिंग / डायरेक्ट सेलिंग / MLM / डायरेक्ट मार्केटिंग
कम्पनी ➡ ➡ ➡ ➡ ग्राहक ➡ ➡ विज्ञापन
⬇ ⬇
⬇ ⬇
⬇ ⬇
➡ ➡ ➡ ➡ ➡ ➡ ➡ ग्राहक ➡ ➡ विज्ञापन
⬇ ⬇
⬇ ⬇
⬇ ⬇
➡ ➡ ➡ ➡ ➡ ➡ ➡ ग्राहक
इस व्यापार में ग्राहक सीधा कम्पनी के स्टोर से सामान या कोई सेवा खरीदता है, अतः इसे प्रत्यक्ष बिक्री / डायरेक्ट सेलिंग कहा जाता है।
यह ग्राहक कम्पनी के सामान या सेवा से संतुष्ट होता है तो अन्य लोगों से उसकी चर्चा करता है, फलस्वरूप कुछ लोग वह सामान कम्पनी के स्टोर से खरीद लेते हैं, इस विज्ञापन की एवज में कम्पनी उस ग्राहक को एक तयशुदा लाभांश देती है।
ये नये लोग भी जब सामान से संतुष्ट होते हैं तो वो भी और लोगों के सामने इसका प्रचार करते हैं एवं होने वाली बिक्री पर नियमानुसार अपना लाभांश पाते हैं। इस बिक्री का लाभांश प्रथम ग्राहक को भी मिलता है।
इस प्रकार यह प्रक्रिया कई स्तरों तक सतत चलती रहती है, अतः इसे बहु-स्तरीय विपणन या मल्टी लेवल मार्केटिंग भी कहा जाता है।
एक ग्राहक के प्रचार द्वारा अन्य ग्राहक, उनके प्रचार द्वारा और अन्य ग्राहक सामान खरीदते हैं, थोड़े समय बाद ऐसे ग्राहकों का एक जाल बन जाता है अतः इसे जालक विपणन या नेटवर्क मार्केटिंग कहा जाता है।
डायरेक्ट सेलिंग में सभी मध्यस्थों को हटा कर सामान सीधा कम्पनी से ग्राहक को दिया जाता है, एवं प्रचार दुसरे लोग नहीं, केवल संतुष्ट ग्राहक या उपभोक्ता ही करते हैं, अतः इन सब में बंटने वाला लगभग 60-70% पैसा ग्राहकों में ही न्याय व नीति अनुसार (सिस्टम से) बाँट दिया जाता है, जो कि कुछ सौ से लेकर लाखों-करोड़ों में हो सकता है।
हर व्यक्ति को रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए कुछ ना कुछ तो खरीदना होता ही है, चाहे वह दुकानदार से खरीदे या डायरेक्ट सेलिंग कम्पनी से। जाहिर सी बात है कि उसे जहाँ अधिक फायदा दिखेगा वह वहीं से खरीदेगा, है ना...
डायरेक्ट सेलिंग में ग्राहक दो प्रकार से खरीददारी कर सकते हैं -
- केवल ग्राहक के रुप में - उच्च क्वालिटी का अपनी पसंद का सामान, MRP पर।
- डिस्ट्रीब्यूटर बन कर - कम्पनी के साथ नि:शुल्क रजिस्ट्रेशन करवा कर डिस्ट्रीब्यूटर बनके निम्न शानदार फायदे लिए जा सकते हैं -
- सामान DP रेट पर मिलता है जो कि MRP से प्राय: 10 - 60 % तक कम होता है।
- हर खरीद पर कम्पनियाँ अपने अपने प्लान के हिसाब से कैश बैक देती है।
- ग्राहक के प्रचार करने से होने वाले टर्नओवर पर लाभांश दिया जाता है।
- ग्राहक द्वारा बनाई गई टीम या नेटवर्क के द्वारा किए गए प्रचार व टर्नओवर पर भी ग्राहक को लाभांश दिया जाता है।
इस प्रकार ग्राहक असीमित फायदे ले सकता है, एवं सभी फायदे ग्राहक को ही मिलते हैं।
यहाँ आपने एक बात नोटिस की होगी कि ग्राहक स्वयं कुछ नहीं बेचता है, वह केवल प्रचार करता है, बेचने का कार्य कंपनी ही करती हैl यानि यह बेचने का नहीं बल्कि खरीदने व खरीदवाने का कार्य है।
क्या डायरेक्ट सेलिंग बिज़नेस एक वास्तविक व्यापार है या नहीं?
जैसा कि हम जानते हैं कि किसी भी बिजनेस में तीन आवश्यक स्तर होते हैं - उत्पादक, मार्केटिंग व उपभोक्ता।
डायरेक्ट सेलिंग व्यापार में -
- उत्पादक डायरेक्ट सेलिंग कम्पनी होती है, चाहे वह स्वयं निर्माण करे या कहीं से करवाए।
- सामान या सेवा को खरीदने व उपयोग में लेने वाला उपभोक्ता या ग्राहक होता है।
- मार्केटिंग (वितरण व प्रचार) का कार्य भी किया जाता है (स्वयं ग्राहक द्वारा)।
अर्थात सामान या सेवा को बेचा व खरीदा जाता है, तथा लाभांश को बांटा जाता है। यही तो व्यापार होता है।
अतः डायरेक्ट सेलिंग बिज़नेस एक वास्तविक व्यापार है।
डायरेक्ट सेलिंग या नेटवर्क मार्केटिंग व्यापार तीन तरह से किया जा सकता है -
- केवल व्यक्तिगत सेलिंग करके।
- केवल टीम बना कर, एवं टीम के द्वारा सेलिंग करवाके।
- उपरोक्त दोनों (सेलिंग व टीम वर्क)।
पिरामिड स्कीम
यह शब्द हमेशा चर्चा में रहता है, भारत सरकार ने ऐसी स्कीम पर पूर्ण पाबन्दी लगा रखी है। प्राय: लोग MLM को पिरामिड स्कीम समझ लेते हैं क्योंकि पिरामिड स्कीम चलाने वाले लोग MLM मॉडल की नक़ल करके इसकी आड़ में अपना उल्लू सीधा करते हैं।
पिरामिड स्कीम में केवल पैसे लिए जाते है, तथा मेम्बर्स को दुसरे मेम्बर बनाने पर कमीशन दिया जाता है, शुरू वाले लोग कुछ कमाई कर लेते है लेकिन कुछ दिन या महीनों बाद यह योजना बंद हो जाती है, बाद वालों को नुकसान व बेइज्जती के अलावा कुछ नहीं मिलता।
कुछ पिरामिड स्कीम चलाने वाले थोड़ा दिमाग और लगा कर एक-दो उत्पाद (किट) बेचने शुरू कर देते है लेकिन इनके उत्पाद वास्तविक मूल्य से कहीं अधिक महंगे, गुणवत्ता में बेकार तथा केवल उन्ही किट (उत्पादों) को खरीदना अनिवार्य किया हुआ होता है। ये लोग रातों-रात अमीर बनने के सपने दिखाते हैं, कैसे भी करके ज्वाइन करवाते हैं, बताते हैं की केवल ज्वाइन करने से ही लाखों में कमाई होगी। इन स्कीम को चिट-फण्ड, पॉन्जी स्कीम, इन्वेस्टमेंट स्कीम आदि कई नामों से जाना जाता है।
जबकि नेटवर्क मार्केटिंग या असली MLM एक विशुद्ध व्यापार होता है -
- यहाँ उत्पाद की बिक्री होने पर कमीशन दिया जाता है न कि मेम्बर बनाने पर।
- यहाँ पैसों के बदले में उचित मूल्य के अच्छी गुणवत्ता के आपकी पसंद व आवश्यकता अनुसार उत्पाद दिए जाते हैं।
- शुरू करवाने से पहले पूरी जानकारी दी जाती है, पूरी तरह से संतुष्ट होने के बाद ही ज्वाइन करवाते है, कार्य कैसे होता है सिखाया जाता है, ज्वाइन करने से नही बल्कि कार्य होने पर ही आय होगी यह बताया जाता है।
- इस तरह यह एक वास्तविक व्यापार है, भारत सरकार से मान्यता व सरंक्षण प्राप्त है, सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार ही किया जाता है, इसमें कोई नुकसान नहीं होता है तथा पीढ़ियों तक चलने वाला, कभी बंद न होने वाला, स्थाई व्यापार है।
सरकार, कंपनी, मार्केटर व ग्राहक सभी लोग WIN-WIN की स्तिथि में होते हैं, अधिकतर स्वास्थ्य से सम्बंधित एवं FMCG यानि दैनिक प्रयोग के सामान होते हैं जिनकी डिमांड हमेशा बनी रहती है चाहे कोई आपदा भी क्यों ना हो।
डिजिटल नेटवर्क मार्केटिंग (DNM - Digital Network Marketing) क्या है?
नेटवर्क मार्केटिंग का कार्य अब और आसान हो गया है क्योंकि इसे ऑनलाइन यानि ब्लॉगिंग, यू-ट्यूब, सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, इन्स्टाग्राम, व्हाट्स-एप आदि डिजिटल तरीकों की सहायता से किया जा सकता है। इस प्रकार इसे डिजिटल नेटवर्क मार्केटिंग कहा जाता है।
Plz, contact us for more knowledge and benefits.